जब केंद्र सरकार अपना बजट प्रस्तुत करती है तो और राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को ध्यान में रखकर करती है।ताकि इन सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच टैक्स का बंटवारा अच्छे से हो सके। जो राज्य कम टैक्स देते हैं उन्हें ज्यादा पैसा दिया जाता है ।
इसमें केंद्र सरकार से कोई चुक होती है तो केंद्र सरकार विवाद के घेरे में आ जाती है। वैसे तो राज्य और केंद्र के बीच राजस्व का बंटवारा के लिए हमेशा से विवाद रहा है और इस बार भी यह विवाद देखने को मिला।
सबसे अधिक टैक्स भरने वाले राज्य
सबसे ज्यादा टैक्स आमतौर पर देखा गया है कि महाराष्ट्र, दिल्ली ,गुजरात और तमिलनाडु लगभग 70 फ़ीसदी फ़ीसदी योगदान देते हैं और इनकम टैक्स देखा जाए तो महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश गुजरात राजस्थान और पश्चिम बंगाल से लगभग 50 फ़ीसदी फाइल किए जाते हैं।
कम टैक्स भरने वाले राज्य
कम टैक्स भरने वाले राज्यों की सूची में देखा जाए तो बिहार मणिपुर मेघालय त्रिपुरा यह सब राज्य बहुत ही काम टैक्स भर पाते हैं। मुख्य कारण यह है कि इन सभी राज्यों में राजस्व की वसूली बहुत ही कम होती है क्योंकि यहां उद्योग क्षेत्र ज्यादा नहीं पाया जाते या सर्विस सेक्टर।
जो राज्य कम टैक्स देते हैं उन्हें मिलता है ज्यादा पैसा
कम टैक्स भरने वाले राज्यों को ज्यादा पैसा इसलिए दिया जाता है क्योंकि देश के विकास के क्रम में इन सभी को साथ-साथ लेकर चला जा सके। अगर इन सभी राज्यों को कम टैक्स दिया जाने लगे तो यह राज्य यूं ही पीछे जाएंगे।
देश के विकास के लिए देश के सभी हिस्सों का पास होना अति आवश्यक है।